What is Durood in namaz?

 What is Durood in namaz?

नमाज़ में दुरूद का मकसद, जो के नमाज़ कहते हैं, इस्लामी इबादत में अहमियत रखता है। यह अमल नबी मुहम्मद (उन पर शांति हो) पर दुरूद भेजने का है, इबादत के दोरान बरकत, तज़्किया और अल्लाह के क़रीब होने की ज़रूरत है। दुरूद मुख़्तलिफ़ सूरतों में परहा जाता है, हर एक अपनी रूहानी फ़ज़ीलत के साथ, नमाज़ के मुख़्तलिफ़ इतिहास में। इसकी अहमियत को समझना रूहानी सफर को गहरा बनाना है, मजहब के साथ गहरा तालुक कायम करना है।

निष्कर्ष: What is Durood in namaz?

दुरूद को नमाज़ में शमिल करना सिर्फ़ एक रस्म नहीं बल्कि यह एक मुक़द्दस रिवाज़ है जो इस्लाम की बुनियाद अक़ैद को नुमाया करता है। इसकी अहमियत नमाज़ियों की रूहानियत और रब्त-ए-इलाही को गहरा करती है। सच्ची और इबादत के साथ अमल को अंजाम देना है, मोमिनीन की इबादत की मंजिल को अमीर बनाता है, अल्लाह के करीब ले जाता है और नबी मुहम्मद (उन पर शांति हो) की तालीमात को अमल में लाता है। हम इस्लाम की ताबीर के माहिर की तोर पर, दुरूद की नमाज़ में अहमियत पर ज़ोर देते हैं, मोमिनीन के दिल में रूहानियत, तवाज़ो और इज्जत को पहचानते हैं।

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